ग्राम झरना सरेन, थाना अत्री गया में कन्यादान योजना: विजया लक्ष्मी कल्याण फाउंडेशन ने बेटी के उज्जवल भविष्य हेतु दिया अग्रिम सामान
ग़ोसी-रोड, जहानाबाद स्थित फाउंडेशन की मानवीय पहल
गया-बिहार के अंतर्गत ग्राम झरना सरेन (थाना अत्री) में सामाजिक सुधार एवं नारी-सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम संपन्न हुआ है। स्थानीय समयानुसार हाल ही में विजया लक्ष्मी कल्याण फाउंडेशन ने अपनी “कन्यादान योजना” के तहत एक युवक-युवती विवाह (कन्यादान) में निम्न-लिखित सामान की व्यवस्था की और हस्तांतरण किया:

सामग्री जो दिया गया …
- दीवान पलंग
- तोसक (सोने-गद्दा)
- आलमीरा (अलमारी)
- ड्रेसिंग टेबल
- बक्सा (संगठन/कॉम्पार्टमेंट बॉक्स)
- टेबल
- कुर्सी
- तकिया
- रजाई
- बेडशीट
- सहित अन्य आवश्यक समान
यह कार्यक्रम इस प्रकार हो गया कि बाम्हौली इलाके के इस ग्रामीण गांव में बेटी के विवाह के अवसर को सम्मान-मूलक बनाने के साथ यह भी संदेश जा रहा है कि गरीबी या संसाधनों की कमी विवाह-समारोह को पिछड़ापन नहीं बनने देनी चाहिए।
आयोजन की पृष्ठभूमि
विजया लक्ष्मी कल्याण फाउंडेशन, जिसका पता “गौरक्षणी मोड़, घोसी रोड, नज़दीक भारत पेट्रोल पम्प, जहानाबाद (बिहार) — पिन 804408, संपर्क-6207885381” है, ने इस पहल को विशेष रूप से सामाजिक दायित्व के तौर पर उठाया है।
स्थानीय रूप से यह कार्यक्रम उस दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है जहाँ समुदायों के भीतर बेटियों की महत्ता, परिवार की गरिमा और सामाजिक समरसता का संदेश दिया जाता है।
कार्यक्रम का उद्देश्य:
इस आयोजन के माध्यम से निम्न-लिखित लक्ष्यों को प्रश्रय दिया गया है:
स्थानीय समुदाय में सामाजिक जुड़ाव, आपसी सहयोग और समरसता को बढ़ावा देना।.
ग्रामीण-स्तर पर कन्यादान (विवाह) को आर्थिक बोझ न बनने देना।
विवाह-समारोह में समान अवसर एवं गरिमामय व्यवस्था सुनिश्चित करना।
समाज में महिलाओं एवं बेटियों की स्थिति को बेहतर बनाना, उन्हें सम्मान देना।
कार्यक्रम का भाव एवं सामाजिक प्रभाव
यह कार्यक्रम न सिर्फ एक विवाह-उपकरण वितरण का आयोजन रहा, बल्कि यह एक प्रतीक बन गया है कि जब सामाजिक संस्थाएं सक्रिय हों, तो ग्रामीण-परिस्थितियों में बदलाव संभव है।
विशेष रूप से:
- इस तरह की पहल से गरीब-वर्ग के परिवारों को राहत मिलती है।
- बेटियों के विवाह में ‘कौन-सोपर’ या अत्यधिक व्यय’ जैसी सामाजिक कुप्रथाओं को चुनौति मिलती है।
- समुदाय में सकारात्मक संदेश जाता है कि बेटी को लेकर किसी प्रकार की संकोच या पिछड़ापन नहीं होना चाहिए।
- सामाजिक संस्थाओं की भूमिका घनिष्ठ महसूस होती है — सिर्फ ‘दान’ नहीं बल्कि ‘सहयोग एवं सशक्तिकरण’ का मॉडल सामने आता है।
आयोजन-विवरण
इस कार्यक्रम के दौरान निम्न-चीजों का उल्लेख किया जा सकता है:
- वितरण के समय संबन्धित परिवार एवं स्थानीय नागरिकों ने भाग लिया।
- दान-सामान का चयन इस प्रकार किया गया कि यह विवाह-परिवेश में तत्काल उपयोगी हो सके।
- संस्था ने बतौर आयोजक-संस्था यह सुनिश्चित किया कि सामान का वितरण पारदर्शी हो।
- कार्यक्रम के माध्यम से संस्था ने यह संदेश दिया कि सामाजिक कार्यक्रम सिर्फ शहरों-में नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी प्रभावी हो सकते हैं।
आगे की राह
विजया लक्ष्मी कल्याण फाउंडेशन ने इस आयोजन के माध्यम से यह संकेत दिया है कि यह सिर्फ एकल कार्यक्रम नहीं बल्कि एक निरन्तर सामाजिक अभियान का हिस्सा है। आने-वाले समय में निम्नलिखित पहल की संभावना है:
- अन्य गांवों में ऐसी कन्यादान-सहायता योजनाओं का विस्तार।
- विवाह-उपकरणों के अलावा लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सशक्तिकरण के कार्यक्रम भी।
- स्थानीय स्वयंसेवकों-सहयोगियों के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर सामाजिक जागरूकता बढ़ाना।
- कार्यक्रम की सफलता एवं परिणामों को मापन-प्राप्त कर उसे मॉडल बनाया जाना।
विशेषज्ञों एवं स्थानीय लोगों की राय
स्थानीय निवासी इस कार्यक्रम को सकारात्मक रूप से देख रहे हैं। कुछ ने कहा कि “यह आयोजन गरीब परिवारों को बड़ी राहत देता है, विवाह-समारोह में सामाजिक बोझ एक-दूसरे पर कम पड़ता है।”
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता व एनजीओ क्षेत्रों से जुड़े लोगों का कहना है कि यह तरह की संस्थागत पहल ग्रामीण समाज में सामाजिक समावेशन एवं महिलाओं-बेटियों के सम्मान की दिशा में एक प्रभावी कदम है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, ग्राम झरना सरेन, थाना अत्री (गया) में हुए इस आयोजन ने यह दिखाया है कि सामाजिक आयोजनों के माध्यम से ग्रामीण-समुदायों में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। विस्थापित नहीं बल्कि समावेशी विकास की ओर यह एक कदम है।
विजया लक्ष्मी कल्याण फाउंडेशन द्वारा उठाई गई यह पहल निश्चित रूप से सराहनीय है और अन्य संस्थाओं एवं सामाजिक कर्मियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकती है।
because behind every number is a child whose life has been changed.