विजया लक्ष्मी कल्याण फाउंडेशन :-भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के अंतर्गत रजिस्टर्ड एक ऐसी संस्था है, जो कन्याओं से संबंधित समस्याओं पर कार्य करती है। चूँकि कन्याएँ हमारे समाज की अभिन्न अंग है और अनकी उपेक्षा करके हम एक सभ्य एवं विकसित समाज की कल्पना भी कर नहीं सकते। हम अपने आपकों एक सभ्य मानव की संज्ञा देते है और एक सभ्य समाज की चाहत रखते हैं। लेकिन जब तक कन्याएँ पुरूषों की तरह निर्णय लेने में, शिक्षा के क्षेत्र में बराबर नहीं आ जाती है, तब तक एक विकसित समाज का सपना एक कल्पना मात्र ही रह जाएगा । आज जितने भी देश जो विकसित कहलाते है, वहाँ की कन्याएँ वहाँ के समाज की एक निर्णयकर्ता है लेकिन हमारे भारत में और खास कर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यो में कन्याओं के साथ आज भी भेदभाव किया जाता है, और इतना ही नहीं बल्कि जीवन के प्रत्येक कदम पर इनका शोषण होता है तथा इनके कदम कदम पर समाज द्वारा काँटे ही काँटे डाल दिये जाते हैं । हम चाहते हैं कि अपनी कन्याओं को सुदृढ़ बनाये लेकिन समाज की कई कुरीतियाँ हमें अपने मकसद से रोकती हैं और जिनका मुल्य हमारे बेटियों को चुकाना पड़ता है | उनके हर कदम पर एक बैरीयर लगा होता है। जिससे सामंजस्य करते करते वो थक जाती हैं, टूट जाती हैं, और जिनका प्रत्यक्ष प्रभाव हमारे समाज पर पड़ता है। लेकिन हम अविभावक ही हैं दुसरा कोई नहीं । इनका शोषण, इनका बंधन, सबसे पहले हमारे घर से शुरू होता है और इनके ससुराल तक चला जाता है। जब तक हम नहीं चाहेंगे हम इन्हें पुरूषों के बराबरी में नहीं लायेंगे, हम इन्हें अपना बोझ समझेंगे, हम इन्हें शारीरिक रूप से सुदृढ़ नही बनायेंगे, हम इन्हें मानसिक रूप सुदृढ़ नही बनायेंगे, तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं है । तब तक हमारे बेटियों की यही स्थिती रहेगी जो आज है । कई सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थायें, संगठन इन समस्याओं पर कार्य कर रही है। लेकिन आज तक हम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाए हैं और इसका एक मूलभुत कारण है कि इस विषय पर सोचते हैं, कहते हैं, लेकिन करते नहीं हैं। |
सभाओं में, शिविरों में, हम बालिका सशक्तिकरण की खुब चर्चा करते है, खुब बखान करते हैं, खुब तालियाँ बजाते है, लेकिन अपने घर जाकर उन्हें भुल जाते हैं। अगर इस समस्या को हम समाप्त कर ले तो हम समझते हैं की हमारे देश, हमारे राज्य, हमारे समाज एवं हमारे घरों की कई समस्याएँ स्वतः ही समाप्त हो जाएगी। अगर हम इस समस्या को समाप्त कर ले तो बेटी के ससुराल जाते समय हमें किसी तरह की आशंका नही रह जाएगी। जैसे हमें अपने बेटे पर भरोसा होता है, उसी तरह बेटियों पर भी भरोसा रहेगा, कि मुसीबत के समय हमारी बेटियाँ भी आने वाले जीवन के कठीनाइयों एवं मुसिबतों का डटकर सामना करेंगी। लेकिन उन्हे बेटे कि तरह ही मजबूत करना होगा। सभी समस्याओं के समाधान हेतु विजया लक्ष्मी कल्याण फाउंडेशन का गठन किया गया है ।
भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के अंतर्गत रजिस्टर्ड एक ऐसी संस्था है, जो कन्याओं से संबंधित समस्याओं पर कार्य करती है। चूँकि कन्याएँ हमारे समाज की अभिन्न अंग है और अनकी उपेक्षा करके हम एक सभ्य एवं विकसित समाज की कल्पना भी कर नहीं सकते।
हम अपने कार्य पथ पर लगातार बढ़ रहे है और आपका सहयोग ही हमें नेक काम करने के लिए प्रेरणा देती रहती है